ऐसे स्त्री पुरुषों को, पूजा करने का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता है।
ऐसे स्त्री य पुरुषों को, पूजा करने का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता, जो *********************** *पद्म पुराण के,उत्तरखण्ड में 87 वें अध्याय के 19 वें श्लोक में,शिव जी ने भगवती पार्वती जी को,पवित्रारोपण की विधि का वर्णन करते हुए,पूजा के अनाधिकारी स्त्रीव पुरुषों की, पूजा की निष्फलता को बताते हुए कहा कि - *अश्रद्ध्या: पापात्मा नास्तिकोsछिन्नसंशय:। *हेतुनिष्ठश्च पञ्च ऐते न पूजाफलभागिन:।। महादेव जी ने,वैसाख महीने में, भगवान श्री हरि को जल में रखकर, पवित्रारोपण विधि से पूजा करने को बताते हुए कहा कि - हे पार्वती! अश्रद्धालु स्त्री पुरुषों को, पापात्मा स्त्री पुरुषों को, नास्तिक स्त्री पुरुषों को,संदेह करनेवाले स्त्री पुरुषों को,हेतुनिष्ठ अर्थात तर्क करनेवाले स्त्री पुरुषों को, इन पांचों प्रकार के स्त्री पुरुषों को पूजा करने का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता है।। *संसार के सभी सुखों को भोगने का साधन तो, एकमात्र शरीर ही है। इसीलिए तो शरीर को "भोगायतन" अर्थात भोग का आधार,घर कहा जाता है।* यदि कोई स्त्री पुरुष, इस शरीर से, विविध प्रकार के भोगों...