अपराजिता स्तोत्र, त्रैलोक्यविजयी अपराजिता स्तोत्र

अपराजिता स्तोत्र / त्रैलोक्यविजयी अपराजिता स्तोत्र नियम से सावधानी पुर्वक पवित्रावस्था मे पाठ करना चाहिए। पाठ करने का नियम, अपराजिता स्तोत्र की महिमा व लाभ आदि विस्तृत जानकारी पाठ के अन्त मे दी गई है। सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करे: विनियोग : ॐ अस्या: वैष्ण्व्या: पराया: अजिताया: महाविद्ध्या: वामदेव-ब्रहस्पतमार्कणडेया ॠषयः।गाय्त्रुश्धिगानुश्ठुब्ब्रेहती छंदासी। लक्ष्मी नृसिंहो देवता। ॐ क्लीं श्रीं हृीं बीजं हुं शक्तिः सकल्कामना सिद्ध्यर्थ अपराजित विद्द्य्मंत्र पाठे विनियोग:। (जल भूमि पर छोड़ दे) अपराजिता देवी ध्यान ॐ निलोत्पलदलश्यामां भुजंगाभरणानिव्तं । शुद्ध्स्फटीकंसकाशां चन्द्र्कोटिनिभाननां ।। १।। शड़्खचक्रधरां देवीं वैष्णवीं अपराजितं । बालेंदुशेख्रां देवीं वर्दाभाय्दायिनीं ।। २।। नमस्कृत्य पपाठैनां मार्कंडेय महातपा: ।। ३।। श्री मार्कंडेय उवाच शृणुष्वं मुनय: सर्वे सर्व्कामार्थ्सिद्धिदाम् । असिद्धसाधनीं देवीं वैष्णवीं अपराजितम्। । ४। । ॐ नमो नारायणाय, नमो भगवते वासुदेवाय, नमोऽस्त्वनंताय सह्स्त्रिशीर्षायणे, क्षिरोदार्णवशायिने, शेषभोगपययड़्काय,गरूड़वाहनाय, अमोघाय अजाय अजित...