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Showing posts from July, 2022

ग्रह शान्ति और रुद्राभिषेक

 श्रीराम । सावन मे विविध कामना से प्रतिएक वार रुद्राभिषेक के लिए प्रशस्त है। सावन का प्रत्येक दिन बिशेष है। सावन मास मे रुद्राभिषेक से शिव शीघ्र प्रसन्न होकर कष्टो का निवारण करते है। ग्रह जनित पीडा़ और समस्त बाधाए दूर कर सुख शान्ति व समृद्धि प्रदान करते है। सावन मास मे रुद्राभिषेक के लिए शिववास देखने की आवश्यकता नही होती है। ग्रह जनित पीडा़ शमन के लिए उस ग्रह के वार मे रुद्राभिषेक कराने से बिशेष शान्ति होती है। सूर्य सभी ग्रहो मे बलवान है, सूर्य की प्रसन्नता से सभी ग्रह प्रसन्न होते है।बलवान  सूर्य सभी अन्य ग्रहो के कष्ट का निवारण करता है।सूर्य को प्रसन्न करने के लिए रविवार को रुद्राभिषेक कराए।  चन्द्रमा सूर्य के बाद सबसे प्रबल दोष नाशक है। बलवान चन्द्रमा अन्य सभी ग्रहो के कष्ट का हरण कर देता है। चन्द्रमा को प्रसन्न करने के लिए सोमवार को रुद्राभिषेक कराये।  मंगल उग्र पापग्रह है, जो कुपित होकर अनेक कष्ट प्रदान करता है। कु्ण्डली मे मांगलिक योग हो अथवा मंगल कष्टकारी हो तो , शान्ति के लिए मंगलवार को रुद्राभिषेक कराये। बुद्धि विकास, धन प्राप्ति, तथा  बुध तथा राहू जनि...

हवन मे ब्रहमा को दक्षिण क्यो? स्रुवा कैसे पकडे

 हवन मे ब्रह्मा को दक्षिण दिशा में क्यो रखा  जाता है? स्रुवा कैसे पकड़ते है? अग्नि का मुख किधर होता है? मेखला कितनी होती है? हवन के लिए कैसी भूमि चाहिए? उत्तरे सर्वपात्राणि उत्तरे सर्व देवता । उत्तरेपाम्प्रणयनम् किम् अर्थम् ब्रह्म दक्षिणे ।। सभी विद्वानों के लिए जानने योग्य बात है । अर्थ- इस श्लोक का अर्थ है उत्तर में सारे पात्रों को स्थापित करते हैं यज्ञ में और उत्तर में ही सारे देवी देवताओं का आवाहन होता है पूजन होता है और इस श्लोक में एक प्रश्न छुपा हुआ है वह प्रश्न यह है कि ब्रह्मा जी को दक्षिण दिशा में क्यों स्थापित करते हैं यज्ञ में? : दक्षिणे दानवा: प्रोक्ता:पिशाचोरगराक्षसा:।तेषांसंरक्षणार्थाय ब्रम्हा:तिष्ठति दक्षिणे ।। दक्षिण दिशा में पिशाच सर्प, राक्षस आदि रहते है उनसे रक्षा के लिए ब्रह्मा को दक्षिण दिशा में स्थापना करते है। [6/25, 1:06 PM] राजेश मिश्र 'कण': श्रीराम । 👌🚩 अन्य:- श्लोक  यमोवैवस्वतोराजा वस्ते दक्षिणाम् दिशी ।। तस्यसंरक्षरणार्थाय ब्रह्मतिष्ठति दक्षिणे ।। ॥ ४. स्रुवधारणार्थकारिका । प्रश्नः - अग्रे धृत्वाऽर्थनाशाय मध्ये चैव मृतप्रजाः ॥ मूले च म्रियते...

रक्षाबंधन 2022 सह समय कब है

 श्रीराम । -  रक्षाबंधन य राखी का त्योहार कब है इसको लेकर लोगो मे उहापोह बना हुआ है। इस पर भास्कर ज्योतिष केन्द्र द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है। श्रावणी तथा रक्षाबन्धन भद्रा में नहीं किया जा सकता। इसलिए भद्रा रहित पूर्णिमा में दिन-रात किसी भी समय रक्षा बन्धन किया जा सकता है।  काशी विश्वनाथ तथा महावीर पंचांगानुसार इस वर्ष ११ अगस्त गुरुवार को दिन में ९/३५ बजे से पूर्णिमा तिथि लग जायेगी जो १२ अगस्त शुक्रवार को प्रात ७/९६ बजे तक रहेगी। भद्रा ११ अगस्त गुरुवार को पूर्णिमा तिथि के साथ ही दिन ९।३५  से प्रारम्भ होकर रात ८।२५ बजे तक रहेगी। इस प्रकार भद्रा से रहित पूर्णिमा ११ अगस्त  गुरुवार को रात ८।२५ से लेकर १२ अगस्त शुक्रवार को प्रातः ७ /१६ बजे के मध्य रक्षाबन्धन का शुभ मुहूर्त्त बन रहा है। अतः इस समय मे ही रक्षाबंधन उचित है।   पं.राजेश मिश्र "कण "