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Showing posts from November, 2022

पुर्णपात्र में 256 मुट्ठी चावल ही क्यो रखते है

 श्रीराम । इस सम्बन्ध में भारतीय विवाह पद्धति में एक प्रश्नोत्तर है,जिसे यहाँ उद्धृत किया जा रहा है— प्रश्न—उत्तरे सर्वतीर्थानि, उत्तरे सर्व देवता, उत्तरे प्रोक्षणी-प्रोक्ता, किमर्थं ब्रह्म दक्षिणे? उत्तर— दक्षिणे दानवा प्रोक्ता,  पिशाचाश्चैव राक्षसाः।  तेषां संरक्षणार्थाय ब्रह्मस्थाप्य तु दक्षिणे।।   अर्थ:-  सभी तीर्थ, देवादि, प्रोक्षणी-प्रणीता जब उत्तर में है,तो ब्रह्मा को दक्षिण में क्यों? तदुत्तर में कहा गया कि दक्षिण में दानव,राक्षस,पिशाचादि वास करते हैं,अतः यज्ञ में इनसे रक्षार्थ ब्रह्मा को यहीं स्थान देना चाहिए। उक्त प्रश्न के उत्तर का थोड़ा और विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि अग्नि कोण में अग्निदेव का स्थान है,साथ ही ग्रहों में शुक्र का स्थान भी यहींहै जो कि दानवादि के प्रिय गुरु हैं।  यज्ञ-रक्षक पितामह ब्रह्माजी को इनके समीप ही कहीं स्थान देना उचित है,इस बात का ध्यान रखते हुए कि अग्नि और शुक्र दोनों का सामीप्य भी मिले,तथा यम के क्षेत्र में अतिक्रमण भी न हो।इस प्रकार सुनिश्चित स्थान पर चावल-हल्दीचूर्ण,कुमकुमादि से अष्टदल कमल बना कर,उस पर पीतर...

लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए

  लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए, शीघ्र फलदायी मंत्र की विधि विस्तार से दी जा रही है। साधकगण कमलगट्टे की माला से लाल आसन पर बैठकर जप आरंभ करे। ग्रहण, दीपावली य किसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार से जप आरंभ कर सकते है। विनियोग : ॐ अस्य मंत्रस्य ब्रह्मऋषिः, गायत्री छन्दः,श्री महालक्ष्मीर्देवता, श्रीं बीजं, नमः शक्तिः, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोग : | यह विनियोग पढ़ने के बाद न्यास करे | न्यास ब्रह्मऋषये नमः शिरसि | अपने दाए हाथ से अपने सिर के ऊपर सपर्श करे | गायत्री छन्दसे नमः मुखे | मुख को स्पर्श करे | श्री महालक्ष्मी देवतायै नमः हृदि | ह्रदय को स्पर्श करे | श्रीं बीजाय नमः गुह्ये | अपने गुप्त अंग को स्पर्श करे | नमः शक्तये नमः पादयोः | अपने दोनों पैरो को स्पर्श करे | विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे | ऐसा बोलकर दोनों हाथो को अपने सिर के ऊपर से लेकर अपने पैरो तक घुमाये |इसके पश्चात कर और हृदयादि न्यास करे करन्यास कमले अंगुष्ठाभ्यां नमः | कमलालये तर्जनीभ्यां नमः | प्रसीद मध्यमाभ्यां नमः | प्रसीद अनामिकाभ्यां नमः | महालक्ष्म्यै कनिष्ठिकाभ्यां नमः | हृदयादि न्यास कमले हृदयाय नमः | कमलालये शिरसे ...

सुवर्च्चला कौन है ?

  सुवर्चला कौन है? विभिन्न गंर्थो मे सुवर्चला का वर्णन मिलता है। सुवर्चला सुर्यदेव की पत्नी संज्ञा का एक उपनाम है। शब्दकल्पद्रुम प्राचीन संस्कृत शब्दकोश में सुवर्च्चला शब्द की जानकारी इस प्रकार है। सूर्य्यपत्नी ।  इति त्रिकाण्डशेष ॥ अतसी ।  इति रत्नमाला ॥  सूर्य्यमुखीपुष्पम् । इति केचित् ।  आदित्यभक्ता ।  (अस्याः पर्य्यायो गुणाश्च यथा   -- “ सुवर्च्चला सूर्य्यभक्ता वरदावदरापि च । सूर्य्यावर्त्ता रविप्रीतापरा ब्रह्मसुदुर्लभा ॥ सुवर्च्चला हिमा रूक्षा स्वादुपाका सरा गुरुः । अपित्तला कटुः क्षारा विष्टम्भकफवातजित् ॥  “ इति भावप्रकाशस्य पूर्व्वखण्डे प्रथमे भागे ॥ ) ब्राह्मी ।  इति राजनिर्घण्टः ॥  देशविशेषे   पुं   ॥ सुवर्चला हनुमानजी की गुरुमाता का नाम है। सुवर्चला सुर्य की पत्नी संज्ञा का ही एक नाम है। इसकी पुष्टि शाश्त्रो मे सपष्ट रुप से मिलता है। प्रमाण यह रहा~ आदित्यात् सुवर्चलायां मनुः। नरसिंह पुराण अध्याय२२ श्लोक संख्या ३ सूर्य और सुवर्चला(संज्ञा) के गर्भ से मनु उत्पन्न हुए।    महा.अनुशासन पर्व में श्लो...

ग्रहण सूतक व वर्जित कार्य

 [11/7, 7:35 PM] राजेश मिश्र 'कण': श्रीराम । खग्रास चन्द्रग्रहण-सन् २०२२ में लगने वाला यह दूसरा खग्रास चन्द्रग्रहण कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार तदनुसार ८ नवम्बर २०२२ को लगेगा। यह ग्रहण एशिया, आस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, उत्तर-पूर्व यूरोप के  कुछ भाग तथा दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश भाग से दिखाई देगा। यूनिवर्सल टाईम के अनुसार इस ग्रहण का आरम्भ १.३२P.M. से होगा तथा मोक्ष या | समाप्ति ७.२७ P.M. पर होगी। र श्री शुभ संवत् २०७९, शाके १९४४ कार्तिक शुक्ल १५ भौमवासरे। तदनुसार ८ नवम्बर २०२२ काश्यां ग्रस्तोदित खग्रास चन्द्रग्रहणम्। काश्यां समय चंद्रोदय सॉय ५:९ खग्रास सॉय ५:१२ मोक्ष सांय ६:१९               चन्द्रग्रहण का सूतक ९ घंटे पहले प्रात: ८:१२ पर आंरभ होगा। अन्य शहरो के समय मे स्थानिक मान अनुसार परिवर्तन होगा। दिल्ली ५:२८ मुंबई  ६:०१ नासिक , पुणे ५:५५ गोरखपुर ५:०६ पटना ५:०१ धनबाद ४:५८ डिब्रुगढ़ ४:१८ गौहाटी ४:३३ जबलपुर ५:२६ सूरत ५:५८ ग्रहणकाल १:१० मिनट का है । जय जय सीताराम । पं.राजेश मिश्र "कण" [11/7, 7:41 PM] राजेश मिश्र 'कण': श्रीराम । सूतक...