त्रिपिण्डी श्राद्ध, का विधान
पितृदोष निवारण हेतु त्रिपिंडी श्राद्ध ये अनुष्ठान कौन कर सकता है ? १. ये काम्य अनुष्ठान हैं । यह कोई भी कर सकता है । जिसके माता-पिता जीवित हैं, वह भी कर सकते हैं । २. अविवाहित भी अकेले यह अनुष्ठान कर सकते हैं । निषेध- १-घर में विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि शुभकार्य हो अथवा घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो यह अनुष्ठान एक वर्ष तक न करें । अनुष्ठान में लगनेवाली अवधि- त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान एक दिन का होता है । त्रिपिंडी श्राद्ध तीर्थस्थल पर पितरों को संबोधित कर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे त्रिपिंडी श्राद्ध कहते हैं । उद्देश्य हमारे लिए अज्ञात, सद्गति को प्राप्त न हुए अथवा दुुर्गति को प्राप्त तथा कुल के लोगों को कष्ट देनेवाले पितरों को, उनका प्रेतत्व दूर होकर सद्गति मिलने के लिए अर्थात भूमि, अंतरिक्ष एवं आकाश, तीनों स्थानों में स्थित आत्माओं को मुक्ति देने हेतु त्रिपिंडी करने की पद्धति है । श्राद्ध साधारणतः एक पितर अथवा पिता-पितामह (दादा)-प्रपितामह (परदादा) के लिए किया जाता है । अर्थात, यह तीन पीढियों तक ही सीमित होता है । परंतु त्रिपिंडी श्राद्ध से उसके पूर...