छुआछूत व जातिवाद का जन्म
श्रीराम!! शंका-सनातन धर्म मे जो चार वर्ण, ब्राह्मण 'क्षत्रिय, वैश्य, और शुद्र उनके सभी के जनक ब्रह्मा जी है फिर यह जातिवाद की परम्परा और छुवा छूत का जन्म कैसे हुआ है ?? यह सब वेद शास्त्र मे वर्णित है या फिर इंसान के दिमाग की उपज है "इस सत्यता पर प्रकाश डाले" समाधान- श्रीमद्भागवत गीता मे श्रीकृष्ण जी ने कहा है- चातुवर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागश:। कुछ लोग इसका शाब्दिक अर्थ अल्पबुद्धि से करते है, कि चारो वर्ण की उत्पत्ति गुण कर्म के अनुसार मैने ही की है। उत्पति और निश्चित करना दोनो मे भेद है कि नही? श्रीकृष्ण ने यह नही कहा- चातुवर्ण्यं त्वं निश्चिनु गुणकर्मविभागश: । बल्कि यह कहा है कि- चातुवर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागश; । अर्थात- प्रत्येक व्यक्ति को उसके पूर्वजन्मके गुणो व कर्मो के अनुसार जिस वर्ण मे अगले जन्म मे उत्पन्न होने की योग्यता प्राप्त होती है, उसी मे श्रीभगवान उस् अगला जन्म दिया करते है। और इस प्रकार जन्म से ही अर्थात माता पिता के रक्त से ही जाति का निर्धारण किया गया है। * पुरुष सूक्त* मे- *ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद्बाहू राजन्य: कृत:। उरु तदस्य यद्वैश्य...