हनुमान महामंत्रराज, सर्वसिद्धिप्रद

श्रीराम! , हनुमान कृपा, हनुमान मंत्र, हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन के लिए, यह तांत्रिक विधि बहुत ही उपयोगी है।
विद्यां वापि धनं वापि राज्यं वा शत्रुविग्रहम्।
तत्क्षणादेव चाप्नोति सत्यं सत्यं सुनिश्चितम्।।

 आय से अधिक खर्च, पारिवारिक विवाद, बीमारी, अकस्मात किसी संकट का उपस्थित होना, भूत- प्रेत बाधा, पितर दोष, वास्तुदोष, ग्रहो की पीडा़, किसी के द्वारा तांत्रिक क्रिया ( मारण,उच्चाटन) आदि किया जाना।  इन सभी दोषो का एक विश्वसनीय व परीक्षित उपाय है। "हनुमतमहामंत्रराज" का बारह हजार जप व तद्दशांश हवन,  तर्पण, मार्जन। यह एक तांत्रिक अनुष्ठान है। जिसमे श्रीहनुमानजी के द्वादशाक्षर तांत्रिक मंत्र " हौं हस्फ्रे ख्फ्रे हस्रौं हंस्ख्फ्रे ह्स्रौं हनुमते नमः।" का जप किया जाता है।
तेल, बेसन व उड़द के आटे से निर्मित हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाये, विधिवत पूजन कर पूआ, भात, शाक, मिठाई, बडे़, पकौडी़ आदि का भोग लगाये।
यहॉ हनुमान साधना की संपुर्ण सामग्री देखिए।
 जप से पूर्व मंत्र का विनियोग षडंगन्यास, वर्णन्यास, पदन्यास तथा अष्टदलकमलयंत्र में विमलाआदि शक्तियोवाली पीठ पर हनुमान् का पूजन करना चाहिये। पीठ देवताओ का  विविध नियतस्थानो मे पूजन करना चाहिये। केसरो मे अंगपूजा, तथा दलो पर विविधनामो वाले हनुमान का पूजन करना चाहिये। दिकपाल सहित प्रमुख वानरो की पूजा कर आवरण पूजा करनी चाहिये। विधि के सभी मंत्र लेख के अधिक विस्तार भय से नही लिखे जा रहे है। अलग अलग कामना के लिये हवन सामाग्री अलग अलग होती है। जहॉ अन्माय लाभोपयोगी अनुष्त्रठान मे लाखो खर्च होते है, वही मात्र ५००० रु के खर्च मे यह अनुष्ठान सम्पन्न हो सकता है।
    यह अनुष्ठान मेरे द्वारा कई लोगो पर परिक्षित है, जिससे लोगो को प्रत्यक्ष लाभ मिला है।

जीवित श्राद्ध प्रमाण संग्रह,

  प्रमाण-संग्रह (१) जीवच्छ्राद्धकी परिभाषा अपनी जीवितावस्थामें ही स्वयंके कल्याणके उद्देश्यसे किया जानेवाला श्राद्ध जीवच्छ्राद्ध कहलाता है- ...