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बाल्मीकि जन्मना शूद्र नही , जन्म से ब्राह्मण थे

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श्रीराम!! वाल्मीकि जन्मना शूद्र नही , जन्मना ब्राह्मण ही थे। अंग्रेज साहित्यकार " बुल्के" वामपंथी विचारक व आर्यसमाजीयो की मिलीभगत से वाल्मीकि को शूद्र बतलाने का षडयंत्र किया गया। जबकि सदा की तरह जन्मना शूद्र होने का कोई प्रमाण ये दे नही पाये। कृति वासीय रामायण मे वाल्मीकी को च्यवन का पुत्र कहा गया है, सन्तान परंपरा मे होनेवाले को भी पुत्र कहा जाता है, इस दृष्टि से च्यवन का भार्गववंश मे जन्म होने से, वाल्मिकि च्यवन के पुत्र कहे गये। उत्तरकाण्ड मे भी वाल्मीकि को भार्गव कहा गया है- " संनिबद्धं हि श्लोकानां चतुर्विंशत्सहस्त्रकम्।    उपाख्यानशतं  चैव  भार्गवेण  तपस्विना।। आदिप्रभृति वै राजन् पञ्चसर्गशतानि च  । काण्डानि षट् कृतानीह सोत्तराणि महात्मनां।।      ( वा. रा. ७|९४|२५,२६) उक्त श्लोको मे वाल्मीकि को ही भार्गव कहा गया है। "भृगोर्भ्राता भार्गवः" भृगु के भ्राता होने से वाल्मीकि भी भार्गव हुए। बुद्धचरित मे वाल्मीकि को च्यवन का पुत्र कहा गया है- " वाल्मीकिरादौ च ससर्ज पद्यंजग्रन्थ यन्न च्यवनो महर्षि:।" ( बुद्धचरित १|४३)   ...

वर्णाश्रम जातिभेद क्यो?

श्रीराम!! #वर्णाश्रम पश्चिमी देश आज पशु पक्षी व वृक्षो की नस्ल को सुरक्षित व उनकी वृद्धि के लिये लगातार प्रयत्नशील है। किन्तु दुर्भाग्यवश समाजीयो की खोपडी मे यह बात नही बैठ पा रही है, कि मनुष्य की भी कोई खास नस्ल होती है, और उसकी रक्षा करना भी आवश्यक है।    यह तो सभी जानते है कि आम कहने के लिये तो मात्र एक साधारण वृक्ष है, परन्तु उसमे भी कलमी , लगंडा, दशहरी, तोतापरी, सिन्दुरी आदि अनेकानेक जातिया पाई जाती है। जिनका आकार प्रकार, रंग रुप और स्वाद मे भिन्नता पाई जाति है। लंगडा के वृक्ष पर तोतापरी तो नही उगता, सफेदा सिन्दूरी हो सकता है क्या? पशुओ मे गाय व घोडो की बिशेष नस्ले पाई जाति है। कुत्तो की नस्ल को सुरक्षित रखने के लिये  "बुलडाग" और "पप्पीडाग" जन्मानेवाली कुतिया को वर्णसंकरता से बचाने के लिये, (दुसरे कुत्ते के संपर्क से) रबड़ के जॉघिये पहनाए जाते है । अहो यह कितने आश्चर्य व शोक का बिषय है, कि आज मानव नस्ल की सुरक्षा की न केवल उपेक्षा की जा रही है, बल्कि जातिगत बिशेषताओ की रक्षा के किले- जन्मना वर्ण व्यवस्था, गोत्र प्रवर विचार, जाति उपजाति मे विवाह सम्बन्ध त...

कलियुगी ब्राह्मण क्यो है पथभ्रष्ट

श्रीराम! कलियुग मे अधिकांश ब्राह्मण क्यो पथभ्रष्ट है? एक समय की बात है, पृथ्वीवासीयो को कर्मदण्ड देने के लिये देवेन्द्र ने १५ वर्ष वर्षा नही की जिससे अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गयी। ऋषि गौतम की भक्ति से प्रसन्न होकर माता गायत्री ने उन्हे एक कल्पपात्र प्रदान किया । जिसके द्वारा इच्छित मात्रा मे अन्न धन प्राप्त कर, गौतम ऋषि ने ब्राह्म्णो की सेवा की। ब्राह्मणो का समूह वहॉ रहकर जीवन यापन करने लगा। इस प्रकार ऋषि गौतम की प्रसिद्धि की चर्चा देवलोक तक होने लगी। इस ख्याति से कुछ ब्राह्मणो को ईर्ष्या हुई। अतः षडयंत्र द्वारा ऋषि गौतम को नीचा दिखाने के उद्देश्य से , इन दुष्टस्वभाव वाले ब्राह्मणो ने एक ऐसी गाय जो मरणासन्न थी को महर्षि के आश्रम मे हॉक दिया। उस समय गौतम ऋषि पूजा कर रहे थे। उनके देखते देखते गाय ने प्राणत्याग दिया। तबतक वे नीचगण वहॉ पहुचकर गाय की गौतम ऋषि द्वारा हत्या कर देने का आरोप लगाया। ऋषि बडे दुःखित हुए। उन्होने समाधिस्थ होकर ध्यान लगाया तो सारा माजरा समझते ही अत्यंत कुपित हुए। और उन्होने ब्राह्मणो को श्राप दिया।  अरे अधम ब्राह्मणो, अब से तुम गायत्री के अघिकारी नही रहोगे, ...

मुसलमानो की उत्पत्ति व विस्तार

श्रीराम! मुसलमानो की उत्पत्ति तथा विस्तार      ।भविष्य पुराण। हस्तिनापुर के राजा क्षेमक की हत्या म्लेच्छो ने कर दी, तब, क्षेमक के पुत्र प्रद्योत ने म्लेच्छो का संहारयज्ञ किया, जिससे उसका नाम म्लेच्छहंता पडा़। म्लेच्छरुप मे कलि( जिसका यह युग है) ने ही राज्य किया था।तब कलि ने नारायण की पूजा कर दिव्य स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर नारायण प्रकट हुए। कलि ने उनसे कहा हेनाथ ! राजा प्रद्योत ने मेरे स्थान व प्रिय म्लेच्छो का विनाश कर दिया है। प्रभु मेरी सहायता करे!     भगवान ने कहा - हे कले! कई कारणो से तुम अन्य युगो से श्रेष्ठ हो,अतः कई रुपो कोे धारण कर,मै तुम्हारी इच्छा पूर्ण करुगा! "आदम" नाम का पुरुष और हव्यवती ( हौवा ) नाम की स्त्री से म्लेच्छ वंश की वृद्धि करने वाले उत्पन्न होंगे। यह कर भगवान अन्तरध्यान हो गये।     म्लेच्छो का आदि पुरुष आदम और उसकी पत्नी हौवा दोनो ने इंद्रियो का दमन कर ध्यान परायण हो रहते थे। कलियुग सर्परुप धारण कर हौवा के पासआया। उस धूर्त कलि ने गूलर के पत्ते मे लपेटकर दूषित वायुयुक्त फल धोखे से खिला दिया, जिससे हौवा का संयम भंग हो ...