महिलाऐ, यात्रा, शुक्रदोष व गोत्र प्रभाव विचार

"शुक्रदोष विचार"
जिस दिशा में 'शुक्र "सम्मुख एवं जिस दिशा में दक्षिण हो ,उन दिशाओं में बालक ,गर्भवती स्त्री तथा नूतन विवाहिता स्त्री को यात्रा नहीं करनी चाहिए ?
    यदि बालक यात्रा करे तो विपत्ति पड़ती है। नूतन विवाहिता स्त्री यात्रा करे तो सन्तान को दिक्कत होती है।गर्भवती स्त्री यात्रा करे तो गर्भपात होने का भय होता है ।यदि पिता के घर कन्या आये तथा रजो दर्शन होने लगे तो सम्मुख "शुक्र "का दोष नहीं लगता है ।
भृगु ,अंगीरा ,वत्स ,वशिष्ठ ,भारद्वाज -गोत्र वालों को सम्मुख "शुक्र "का दोष नहीं लगता है ।
    सम्मुख "शुक्र "तीन प्रकार का होता है-१जिस दिशा में शुक्र का उदय हो।
२उत्तर दक्षिण गोल -भ्रमण वशात जिस दिशा शुक्र रहे।
३अथवा --कृतिका आदि नक्षत्रों के वश जिस दिशा में हो,उस दिशा में जाने वालों को शुक्र सम्मुख होगा ।
जिस दिशा मे उदय हो -उस दिशा में यात्रा न करें
१-जब गुरु अथवा शुक्र अस्त हो गये हों -अथवा सिंहस्त गुरु हो ,कन्या का रजो दर्शन पिता के घर में होने लगा हो ,अच्छा मुहूर्त न मिले तो --दीपावली के दिन कन्या पति के घर जा सकती है ।
२-यदि पश्चिम में उदय हो -तो पूर्व एवं उत्तर दिशाओं तथा ईशान ,वायव्य विदिशाओं में जाना शुभ रहेगा

३-यदि पूर्व में शुक्र का उदय हो -तो पश्चिम और दक्षिण दिशाओं तथा नैरित्य तथा अग्निकोण विदिशाओं को जाना शुभ होगा । ।
४-गुरु उपचय में हो ,शुक्र केंद्र में हो एवं लग्न शुभ हो तथा शुभ ग्रह से युक्त हो --तब स्त्री पति के घर की यात्रा करे।
५-जब चन्द्र रेवती से लेकर कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण के बीच में रहता है --तब तक शुक्र अन्धा हो जाता है --इसमें सम्मुख अथवा दक्षिण शुक्र का दोष नहीं लगता है ।
६-एक ही ग्राम या एक ही नगर में ,राज्य परिवर्तन के समय -विवाह तथा तीर्थयात्रा के समय शुक्र का दोष नहीं लगता है।
(मुहुर्तचिंतामणि,ज्योत्तिषार)
       पं.राजेश मिश्र"कण"

जीवित श्राद्ध प्रमाण संग्रह,

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