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ध्यान व समाधि

श्री राम।। प्रथम गुरुपद बंदगी, दुजे पूजू गणेश। तीजे माता सरस्वती कीजै कंठ प्रवेश।। ध्यानं इष्टस्वरुपस्य वंदनं मनसा खलु। मन के द्वारा इष्टदेवता के स्वरुप को जानना ध्यान कहलाता है। प्रारंम्भ मे मन, मंत्र एवं देवता की पृथक पृथक अनुभूति होती है। ध्यान के प्रभाव द्वारा इन तीनो मे एकरुपता का बोध होता है।इन तीनो के एक भाव मे मिलते ही समाधि प्रारंम्भ होती है, जिससे महा भाव उत्पन्न होता है।  ध्यान से शांति और समाधि की ओर- २० मिनट के लिए गहरे ध्यान और विश्राम के लिए तैयार हो जाएँ|  आरंभिक समय में ध्यान करने के सरल उपाय तकनीक एक गहरे ध्यान के अनुभव के लिए यह आसान सुझाव अत्यंत ही प्रभावशाली है: समय एवं स्थान का चयन करें। पेट को थोड़ा खाली रखें और आराम से बैठें। कुछ व्यायाम, गहरी सांस के साथ प्रारंभ करें। तनाव मुक्त रहे। क्या आपको पता है, बस थोड़ा समय अपने ध्यान के तैयारी में खर्च करके ध्यान का गहरा अनुभव प्राप्त सकते हैं? शुरुआती दौर में ध्यान करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं , जिससे आपको घर पर ध्यान करने के लिए मदद मिल सकती हैं। क्या आँखे बंद करके शांत बैठना कठिन लगता है ? - इसके लि...