मुसलमानो की उत्पत्ति व विस्तार

श्रीराम!
मुसलमानो की उत्पत्ति तथा विस्तार
     ।भविष्य पुराण।
हस्तिनापुर के राजा क्षेमक की हत्या म्लेच्छो ने कर दी, तब, क्षेमक के पुत्र प्रद्योत ने म्लेच्छो का संहारयज्ञ किया, जिससे उसका नाम म्लेच्छहंता पडा़।
म्लेच्छरुप मे कलि( जिसका यह युग है) ने ही राज्य किया था।तब कलि ने नारायण की पूजा कर दिव्य स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर नारायण प्रकट हुए। कलि ने उनसे कहा हेनाथ ! राजा प्रद्योत ने मेरे स्थान व प्रिय म्लेच्छो का विनाश कर दिया है। प्रभु मेरी सहायता करे!
    भगवान ने कहा - हे कले! कई कारणो से तुम अन्य युगो से श्रेष्ठ हो,अतः कई रुपो कोे धारण कर,मै तुम्हारी इच्छा पूर्ण करुगा! "आदम" नाम का पुरुष और हव्यवती ( हौवा ) नाम की स्त्री से म्लेच्छ वंश की वृद्धि करने वाले उत्पन्न होंगे। यह कर भगवान अन्तरध्यान हो गये।
    म्लेच्छो का आदि पुरुष आदम और उसकी पत्नी हौवा दोनो ने इंद्रियो का दमन कर ध्यान परायण हो रहते थे। कलियुग सर्परुप धारण कर हौवा के पासआया। उस धूर्त कलि ने गूलर के पत्ते मे लपेटकर दूषित वायुयुक्त फल धोखे से खिला दिया, जिससे हौवा का संयम भंग हो गया। इससे अनेक पुत्र हुए जो सभी म्लेच्छ कहलाए। इसी का एक वंशज न्यूह हुआ जो परम विष्णुभक्त था। भगवान ने प्रसन्न होकर उसके वंश की वृद्धि की। उसने वेदवाक्य व संस्कृत से बहिर्भूत म्लेच्छ भाषा का विस्तार किया, और कलि की वृद्धि के लिये ब्राह्मी भाषा को अपनाया। ब्राह्मी भाषा को लिपियो का मूल माना गया है। न्यूह के हृदय मे स्वंय भगवान विष्णुने प्रकट होकर उसकी बुद्धि को प्रेरित किया।इसलिये उसने अपनी लिपि को उल्टीगति से दाहिने से बॉए प्रकाशित किया। जो उर्दू, अरबी, फारसी और हिबूकी लेखन प्रक्रिया मे देखी जाती है।संस्कृत भाषा भारत मे ही किसी तरह बची रही।अन्य भागो मे म्लेच्छ भाषा मे ही लोग सुख मानने लगे।
दो हजार वर्ष कलियुग के बीतने पर विश्व की अधिकांश भूमि म्लेच्छमयी हो गयी। भॉति भॉति के मत चल पडे। मूसा नाम का व्यक्ति म्लेच्छो का आचार्य था।उसने अपने मत को सारे संसार मे फैलाया। कलियुग के आने सेभारत मे वेदभाषा व देवपूजा प्रायः नष्ट हो गयी। प्राकृत व म्लेच्छ भाषा का प्रचार हुआ। ब्रजभाषा व महाराष्ट्री ये प्राकृत भाषा के मुख्य भेद है, यावनी और गुरुकण्डिका( English) म्लेच्छ भाषा के मुख्य भेद है।
  म्लेच्छ भाषा मे षष्टी को सिक्स्टी,सूर्यवार को संडे, भ्रातृ को ब्रादर, पितृ को फादर, आहूति को आजू, जानू को जैनु, फाल्गुन को फरवरी कहते है।
   म्लेच्छदेश मे म्लेच्छलोग सुख से रहते है, यही कलियुग की बिशेषता है।
 अतः भारत और इसके द्वीपो मे म्लेच्छो का राज होगा, ऐसा समझकर आपलोग हरि का भजन करे।
      जय जय सीताराम!

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