आयु और मंत्र के प्रकार कौन मंत्र किस आयु मे सिद्धि देते है
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बीजमन्त्र, मन्त्र तथा मालामंत्र मंत्रो के यह तीन भेद बताया जाता है।
एक से दश अक्षर तक के मंत्र बीजमंत्र, ग्यारह से बीस अक्षर तक के मंत्र, मंत्र तथा इक्कीस व उससे अधिक अक्षर के मंत्र मालामंत्र कहे जाते है।
विविध आयु अवस्था मे सिद्धिदायक मंत्र
बीजमंत्र- उपासक की बाल्यवस्था मे बीज मंत्र सिद्ध होते है।
मंत्र- युवावस्था मे मंत्र सिद्ध होते है।
मालामंत्र- वृद्धावस्था मे मालामंत्र सिद्ध होते है।
उक्त अवस्था से भिन्न अवस्था मे साधक को अपने अभीष्ट सिद्धि के लिये बीजमंत्र आदि को द्विगुणित जप करना चाहिये।
'वौषट'
मंत्रो के तीन प्रकार- पुरुष, स्त्री एवं नपुंसक मंत्र- जिन मंत्रो के अन्त मे ' वषट्' या 'फट्' होता है वह पुरुष मंत्र कहलाते है। जिन मन्त्रो के अंत मे 'वौषट' एवं स्वाहा लगा हो वह स्त्री तथा जिनके अन्त मे ' हुं' एवं ' नमः' हो नपुसंक होते है।
वश्य, उच्चाटन एवं स्तम्भन मे पुरुष मन्त्र सिद्धिदायक, क्षुद्रकर्म एवं रोगो के नाश मे स्त्री मंत्र शीघ्र सिद्धि प्रद होते है। अभिचार मे नपुंसक मंत्र सिद्धिदायक कहे गये है।
प्रणव, बीजमंत्र व माला मंत्र के लिये सिद्धादि शोधन की आवश्यकता नही होती है।
प्रणव, बीजमंत्र व माला मंत्र के लिये सिद्धादि शोधन की आवश्यकता नही होती है।
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