क्या कलियुग समाप्त होनेवाला है? कब है कलियुग का अन्त?

पद्म पुराण, मानसागरी,विविध मान्यता प्राप्त सर्वग्राह्य पंचाग, प्रमाणिक ग्रंथ व साहित्य के अनुसार क्या है, युगायन, काल गणना, दिव्य वर्ष, कलियुग का अंत समय। तथा कलियुग के अंत समय का परिवेश और आज के परिवेश के संदर्भ मे तुलना आप स्वंय करे कि कलियुग के अंत के स्वरुप से आज मे अभी कितना अंतर है।

मानव के एक वर्ष का देवताओं की एक रात दिन होता है।
      एक कल्प का ब्रह्मा जी का दिन व एक कल्प की रात होती है, अतः दो कल्प का ब्रह्मा जी की एक दिन रात होती है। तद्नुसार 720 कल्प का ब्रह्मा का एक वर्ष हुआ। ब्रह्माजी की 100 ब्रह्म वर्ष=72000 कल्प की आयु है। ब्रह्मा जी के एक दिन मे 14 मन्वंतर होते है। एक मन्वंतर 71 चतुर्युग से कुछ अधिक काल का होता है। 
   एक सौर वर्ष मे 360 दिन होते है।एक दिन मे 24 घंटा ,1घंटा मे ढाई घटी व एक घटी मे, 60 पल, एक पल मे 60 विपल होते है। यह समय का मानक है।
 संध्या व संध्याश सहित, युग की आयु इस प्रकार है।
युग                        सौर वर्ष
सतयुग  - 1728000
त्रेतायुग - 1296000
द्वापरयुग- 864000
कलियुग - 432000
इन चार युगो का मान 43,20,000 वर्ष है। चार युगो का एक महायुग होता है। 1000 महायुग का एक कल्प होता है। अतः
 4320000×1000=4320000000 सौर वर्ष एक कल्प का मान होता है।( चार अरब बत्तीसकरोड़ वर्ष)
   360 मानव, वर्ष का एक दिव्य वर्ष होता है, यह देवताओ का वर्ष होता है। एक मन्वंतर मे सौर मान से 30,67,20,000 वर्ष होते है। दिव्य वर्ष गणना के अनुसार 8,52,000 दिव्यवर्ष का एक मन्वंतर होता है।
चूकि 360 सौर वर्ष= 1दिव्य वर्ष
अतः मन्वंतर =
 30'67'20'000÷360= 852000 दिव्यवर्ष
 एक चतुर्युग 
= 43,20,000÷360=12000 दिव्य वर्ष एक चतुर्युग का मान है।
इस प्रकार चारो युग का दिव्य वर्ष प्राप्त करते है।
सतयुग  1728000÷ 360=4800दिव्य वर्ष
त्रेतायुग 1296000÷360=3600   दिव्य वर्ष
द्वापर युग 864000÷360=2400 दिव्य वर्ष
कलियुग 432000÷360=1200 दिव्य वर्ष

ब्रह्माजी के एक दिन मे चौदह मन्वंतर होते है, जिनमे 1स्वंयभुव 2स्वरोपित 3उत्तमज 4तामस5 रैवत 6चाक्षुस नामक 6 मन्वंतर व्यतीत होकर 7वां वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है, इसके भी 27 महायुग समाप्त होकर28वें महायुग के तीन युग सतयुग त्रेता, द्वापर युग बीत कर चौथा कलियुग चल रहा है। कलियुग का आंरभ भाद्रपद कृष्ण13 रविवार को अर्द्धरात्रि मे हुआ था।
तदनुसार कलियुग के5119वर्ष बीत चुके है। कल्पांरभ से 1955885119 वर्ष व्यतीत हुए है।
 कलियुग अभी 426881 वर्ष शेष है।
इस समय ब्रह्माजी की आयु के 51वर्ष 1 दिन 13 घटी 22 पल बीत चुके है।
     कलियुग की विशेषता- कलियुग मे 75% पाप 25% पुण्य रहेगा।
 कलियुग के अन्त मे भूमि बीजहीन हो जाएगी, गंगा लुप्त हो जाएगी, देवता, आकाश, तुलसी एवं गुरु की पूजा बंद हो जाएगी। सभी लोग म्लेचछ का आचरण करेंगें।
  कलियुग के 821वर्ष शेष रहने पर संम्बल क्षेत्र के गौड़ ब्राह्म्ण विष्णुयश के घर मे कल्कि अवतार होगा जो म्लेच्छो का संहार कर विलुप्त धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।
      कलियुग समाप्ति की घोषणा करने वाले ने कहॉ गलती की है ,अब वह बताते है। जब रिसर्च रिपोर्ट का मैने अध्ययन किया तो उसमे बहुत ही विस्तार से सृष्टिक्रम को बहुत ही स्पष्टता से वर्णन किया है और गणितीय उदाहरण से अच्छी तरह समझाया भी है। सौरमान और दिव्यवर्ष की तुलना भी बडी सटीक की है साथ ही दिनमान निकालकर और स्पष्ट करने का सुन्दर प्रयास किया है। किंतु  एक मन्वंतर मे जो 71 चतुर्युग होते है, उसे एक चतुर्युग के दिव्य 12000 वर्ष को एक मन्वंतर का वर्ष मानकर 71 से भाग कर दिया है जिससे कालक्रम 71 गुणा कम हो गया ।  कलियुग की आयु 5070 वर्ष की बता दी गयी।इस समय कलियुग 5119 वर्ष बीत चुका है। और यह ऑकडा 100% गलत साबित हो गया। एक मन्वंतर मे 8,52,000 दिव्य वर्ष होते है।12000 दिव्य वर्ष एक चतुर्युग मे होता है।
आजकल शोशल मिडिया नेट, गूगल, आदि पर कलियुग के समाप्ति की घोषणा की जा रही है। और सन 2012, 2015 मे भी, प्रलय की अफवाहे उडाई गयी । एक विद्वानगण ने इस पर रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत कर  ५०पचास वर्ष मे कलियुग की समाप्ति की घोषणा की है,और इसी के आधार पर शेष लोग भी पुष्टि कर रहे है।
    कुछ प्रयत्न के बाद इस रिसर्च रिपोर्ट को मैने प्राप्त कर अध्ययन किया और पाया कि यहॉ एक बडी गणितीय चूक हुई है। य जानबूझकर स्वंय को हाईलाईट करने के लिये गडबडी पैदा कर भ्रम बनाया गया है।
      आईये जानते है, कि वे कौन से मंत्र है जो कलियुग मे शीघ्र फल देने वाले है।
और कौन सा मंत्र आपके लिये होगा शीघ्र फलदायी कलियुग मे शीघ्र फलदेनेवाले मंत्र यहॉ ब्लूलाईन को टच कर के, आप जान सकते है।

No comments:

Post a Comment

जीवित श्राद्ध प्रमाण संग्रह,

  प्रमाण-संग्रह (१) जीवच्छ्राद्धकी परिभाषा अपनी जीवितावस्थामें ही स्वयंके कल्याणके उद्देश्यसे किया जानेवाला श्राद्ध जीवच्छ्राद्ध कहलाता है- ...