रुद्राक्ष का प्रयोग, धारण विधि व फायदा


रुद्राक्ष के फायदे :
सभी रुद्राक्ष एक प्रकार की तरंगे छोड़ते है जो जातक को शारीरिक रूप से और सकारात्मक उर्जा के रूप में फायदा करती है |
शारीरिक रोग जैसे : पेट रोग , गठिया रोग , मानसिक रोग , ह्रदय रोग इस प्रकार के रोगों में रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है |
रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक तनाव कम होता है |
रुद्राक्ष धारण करने से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है |
रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाते है जैसे : ऊपरी बाधा , नजर दोष , भूत -प्रेत बाधा आदि |
विधिवत रुद्राक्ष पहनने से भाग्य उदय होता है | जिन लोगों का भाग्य कमजोर हो, उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |
रोग से मुक्ति , कष्टों से छुटकारा और परिवार में सुख-शांति ये सभी सिद्ध रुद्राक्ष धारण करने से संभव होती है |
ज्योतिष द्रष्टि से भी रुद्राक्ष बड़ा लाभकारी होता है | जैसे : कुंडली के दोष : शनि दोष , सूर्य दोष , राहु-केतु दोष और काल सर्प दोष आदि में रुद्राक्ष फायदा पहुंचाता है |
धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष का महत्व : –
रुद्राक्ष न केवल एक भौतिक वस्तु है बल्कि धार्मिक द्रष्टि से रुद्राक्ष बहुत कल्याणकारी है | जो लोग विधिवत रुद्राक्ष धारण करते है और रुद्राक्ष के नियमों का पालन करते है वे धर्म के मार्ग की और अग्रसर होने लगते है | उनका मष्तिष्क स्थिर रहने लगता है | पूजा के समय , ईष्ट देव का ध्यान करते समय उनका ध्यान केन्द्रित होने लगता है | सामाजिक बुराइयों से ऐसे जातक दूर रहते है | भगवान शिव के साथ-साथ अन्य देवों की भी कृपा ऐसे जातक पर सदैव बनी रहती है |

जो जातक मोक्ष के मार्ग पर चलते है उनके लिए रुद्राक्ष किसी चमत्कार से कम नहीं होता | ध्यान लगाने में रुद्राक्ष के महत्व को अनदेखा कदापि नहीं किया जा सकता | साधू-संत प्रवृति के जातक रुद्राक्ष अवश्य धारण किये होते है | इसके पीछे का मुख्य कारण : मन का एकाग्र रहना और सभी सांसारिक कुरूतियों से बचना है |

ध्यान देने योग्य :
मुख्य रूप से एक से 14 मुखी रुद्राक्ष धारण किये जाते है वैसे इनकी संख्या 22 मुखी तक देखने को मिलती है | शिव महा पुराण के अनुसार रुद्राक्ष एक मुखी से 38 मुखी तक होते है | एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे दुर्लभ और प्रभावशाली रुद्राक्ष माना गया है | यह बड़ी ही दुर्लभता से प्राप्त होता है |

रुद्राक्ष पूर्ण रूप से धार्मिक आस्था का प्रतीक है | इसे धारण करने से पहले इसे धारण करने के नियमों के विषय में जानकारी अवश्य प्राप्त करे | यदि आप इन नियमों का पालन कर सकते है तब ही रुद्राक्ष को गले में धारण करना चाहिए | अन्यथा विपरीत परिणाम भी मिल सकते है | सामान्य रुद्राक्ष की अपेक्षा अभिमंत्रित(सिद्ध) रुद्राक्ष धारण करना कई गुना प्रभावशाली माना है | इसलिए जब भी आप रुद्राक्ष धारण करने का मन बनाये, किसी योग्य पंडित द्वारा इसे अभिमंत्रित और इसकी पूजा अवश्य कराये |

रुद्राक्ष को राशी के अनुसार ही धारण करना चाहिए | रुद्राक्षके मुख के आधार पर ये सभी राशियों के लिए गुणकारी है | किसी योग्य ज्योतिष आचार्य द्वारा अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष का चुनाव करने और विधिवत धारण करें |

आप अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष की जानकारी हेतु कमेंट मे अपना जन्म विवरण दे।
जिन्हे जन्म विवरण ज्ञात नही वह अपना सर्वाधिक प्रचलित नाम लिखे।

यदि आप रुद्राक्ष को शरीर पर धारण करना चाहते है तो इसके लिए आप कोई शिव पूजा वाला दिवस चुने | जैसे आप  श्रावन (सावन ) मास का कोई सोमवार , पूर्णिमा या शिवरात्रि का दिन चुन सकते है | ये दिन शिव पूजा के अत्यंत शुभ दिवस माने जाते है | यहा ध्यान रखे की रुद्राक्ष असली हो पहचान के बाद ही उसे धारण करे | खंडित , गलत और कीड़े लगे रुद्राक्ष को धारण नही करे |
जप माला को ना धारण करे
जिस रुद्राक्ष की माला को आपने कभी मंत्र जप के लिए काम में लिया है उसे कभी भी भूल से धारण नही करे | आप नयी माला या रुद्राक्ष खरीद कर उसे पहन सकते है |

धारण कैसे करे रुद्राक्ष पूजन के बाद
सबसे पहले कांसे के दो पात्रो में पंचामृत और पंचगव्य बना ले | और उसमे गुलाब के पुष्प के पत्ते डाल दे | अब बारी बारी से रुदाक्ष या उसकी माला को दोनों में स्नान कराये और उस समय भगवान शिव के मंत्र का जप करे | यह शिव पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय हो तो बहुत अच्छा होगा |

इसके बाद फिर से इसे गंगा जल से स्नान कराये और फिर एक साफ़ लाल कपडे की चोकी पर इसे रखे |और  चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प, धूप, दीप द्वारा रुदाक्ष की  पूजा करके अभिमंत्रित करे | इसके लिए शिव गायत्री मंत्र का जप करे |

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात |

यह मंत्र आप 11 बार जपे  | अब इस रुद्राक्ष को किसी शिवलिंग पर स्पर्श कराकर शिवजी से विनती करे की वो अपनी कृपा इसके माध्यम से हमेशा आप पर रखे और फिर इसे धारण करे |

रुद्राक्ष धारण करने के बाद कुछ नियम
रुद्राक्ष धारणकर्ता को तामसिक भोजन और मदपान से दूर रहना चाहिए |
रुद्राक्ष की पवित्रता का हमेशा ध्यान रखे |
रुद्राक्ष को कभी भी नाभि के निचे तक ना पहने |
रुद्राक्ष स्वर्ण या रजत धातु में धारण करें। इन धातुओं के अभाव में इसे ऊनी या रेशमी धागे में भी धारण कर सकते हैं। अधिकतर रुद्राक्ष यद्यपि लाल धागे में धारण किए जाते हैं, किंतु एक मुखी रुद्राक्ष सफेद धागे, सात मुखी काले धागे और ग्यारह, बारह, तेरह मुखी तथा गौरी-शंकर रुद्राक्ष पीले धागे में भी धारण करने का विधान है।
रुद्राक्ष पहन कर श्मद्गाान या किसी अंत्येष्टि-कर्म में अथवा प्रसूति-गृह में न जाएं। स्त्रियां मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण न करें। रुद्राक्ष धारण कर रात्रि शयन न करें!
नोट-आप अपने लिए उपयुक्त रुद्राक्ष की जानकारी हेतु कमेंट मे अपना जन्म विवरण दे।
जिन्हे जन्म विवरण ज्ञात नही वह अपना सर्वाधिक प्रचलित नाम लिखे।

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