हनुमान महामंत्रराज साधना सामाग्री
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- हनुमत साधना एक तांत्रिक प्रयोग है, जिसकी साधना करने से, धरती पर ऐसा कुछ नही है जिसकी पुर्ति न की जा सके। अर्थात सभी मनोकामनाए शीघ्र अतिशीघ्र प्राप्त की जा सकती है। मुकदमा मे विजय, ऋ्ण से मुक्ति, व्यवसाय मे सफलता, नौकरी मे प्रोन्नति, निःसंतान को संतान, निर्धन को धन, बिगडे कार्य बने, पारिवारिक कलह से मुक्ति, जमीन विवाद से छुटकारा, भूत प्रेत बाधा, जादू टोना, किया कराया, ग्रहदोष वास्तुदोष सभी प्रकार के अनिष्ट का निवारण होता है। जो भी साधक इस साधना को करता है वर शीघ्र ही सर्वमनोकामना की सिद्धि कर लेता है। हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नवऩिधि के दाता है। इस साधना के प्रयोग से वह शीघ्र पसन्न होकर दर्शन देते है तथा भक्त की मनोकामना पुर्ण करते है।
- इस व्रत का आरंभ रविवार से करके मंगलवार को पुर्ण करना होता है। यह प्रयोग तीन दिन का है। तीन दिन मे १२००० बारह हजार जाप करने से मंत्र सिद्ध होता है।
- मंत्रजाप के पश्चात दशांश हवन उसका दशांश तर्पण उसका दशांश मार्जन तथा ब्राह्मण भोजन अवश्य करना चाहिये। इससे मंत्रसिद्ध होता है।
हनुमत महामंत्रराज साधना सामाग्री:-
मूर्ति निर्माण हेतु- बेसन चना का २५० ग्रा, काली उड़द का आटा २५०ग्रा, सरसो तेल १०० ग्रा़,
हनुमान जी को चोला चढा़ने की संपुर्ण विधि
पूजन सामाग्री- भोजपत्र१,अष्टगंध, रोरी, मौली, चन्दन, गुलाल, सिन्दूर,बुक्का, हल्दी, मधु, दही, दूब, अक्षत, फल, फूल , फूलमाला, तुलसी पत्र, धूपबत्ती, दीपक मिट्टी का २१, सोपाडी ३०, पान पत्ता ३०, रुई की बत्ती, मीठा ( गुड़ य चीनी), जनेऊ ११, पीली सरसो ५० ग्रा, तिल का तेल ५००ग्रा, घी१००ग्रा, पंचपल्लव, कुश, मिट्टी का कलश छोटा एक ढक्कन सहित, नारियल१, प्रसाद के लिये दोनिया २५, पंचमेवा, हनुमानजी को चढा़ने के लिए वस्त्र,
मूंगामाला-१ गाढा़ लाल रंग की (जिसके सभी दाने एक समान हो, कोई दाना टूटा फूटा नही हो)
भोग लगाने हेतु-पूआ, भात,शाक, उरद का बडा, पकौडा़, मिठाई आदि
उरद बडा़ से बनी माला १ (७ उरद के बडे से बना)
agama tantra yantra vigyan totka shaber mantra
Agori tantra kaali tantra kali tantra ravan tantra uddish tantra rahasya
हवन सामाग्री- धान सवा किलो, दूध आधा किलो, दही एक पाव, घी आधा पाव।
मूर्ति व यंत्र प्रतिष्ठा/ स्थापन हेतु लाल वस्त्र १मीटर,
आचार्य वरण सामाग्री-( जैसे-धोती कुर्ता गमछा आदि यथा इच्छानुसार/सामर्थ्यानुसार यह द्रव्य से भी किया जा सकता है।)
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ReplyDeleteजय श्री सीताराम!! प्रतिक्रिया देन्के लिए हार्दिक आभार।
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