शनि, राहू और केतु शांति के विस्तृत उपाय
ग्रहो की स्थित जन्मकुंडली मे जो भाव मे होता है, उस भावपर अन्य ग्रहो की दृष्टि, युति, कारक, भाव आदि की स्थिति, से ग्रह शुभ अशुभ प्रभाव देने मे सक्षम होते है। अतः जब ग्रह अशुभकारक हो, तो उनका उपाय करने से ग्रहो का कोप शांत होकर शुभफल प्राप्त होता है।
इस लेख के माध्ययम से एक एक कर प्रत्येक ग्रह के बारे में जानकारी दी गयी है। अतिरिक्त जानकारी के लिए नि: शुल्क परामर्श के लिए, follwo और coment का प्रयोग करें।
ज्योतिष विज्ञान में शनि उपासना
शनि गंभीर और क्रुर प्रकृति के ग्रह है। ये कालकार, तमोगुणी और पाप ग्रह है। कुटनीति, छल, कपट, क्रोध, मोह, क्षण, राजदण्ड, सन्यास आदि शनि के स्वभाव में है।
इसी कारण से आमजन में यह धारणा है कि शनि सदैव अनिष्टकारी ही होते हैं। जो कि पूर्ण सत्य नहीं है। शनि सदैव अनिर्वचनीय नहीं होते हैं। ये तो मनुष्यों के पूर्व संचित कर्मो के अनुसार अच्छा या बुरा फल देते है। शुभ कर्म वालों को खुशी, समृद्धि और उन्नति देते हैं तो अशुभ कर्म वालों को दुःख, दरिद्रता, और सम्मान देते हैं।
शनि राजा को रंक और रंक को राजा बनाने का सामर्थ्य रखना है। इसी कारण से इन्हे भाग्य विधाता भी कहा जा सकता है।
अतः शनि को प्रसन्न कर शुभ फल प्राप्त करने और अशुभ पैरों से बचने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते है।
मंत्र जाप :- शनि के मंत्रों के विधिवत जप करने से शनि जनित बाधाओं का निवारण होता है। & शनि शुभ फल प्रदान करते है। शनि की ढैया और साढ़े साती में मंत्र जप योग्य और शीघ्र फलदाय होते हैं। मंत्र जप स्वयं या किसी योग्य पंडित से विधिवत कराने चाहिए।
शनि को प्रसन्न के मंत्र और जप संस्था :-
1. वैदिक मंत्र :- नीलाजं समाभासं रविपुत्रम् यमग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतम् तम् नमामि शनैस्कृतम् ।।
(जप संख्या 92 हजार)
2. ऊँ शन्नो देवी रबिष्टय भवआप अभिषेक।
प्रतये शंयूर्यभि स्त्रवन्तुनः ।। (जप संख्या २३ हजार)
३. ऊँ स्वः भुवः। स सः खौं खीं खं ऊँ शनिश्चतु नमः ।। (जप संख्या २३ हजार)
४. ऊँ ऐं हनीं स्त्रीं शनैश्चराय नमः। (जप संख्या २३ हजार)
५. ऊँ शं शनये नम: ।। (जप संख्या २३ हजार)
तांत्रिक मंत्र
6. ऊँ खँचुं खूँ सः ।। (19 हजार)
7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।। (२३ हजार जप)
शनि गायत्री मंत्र
भ ऊँ भगभाय विद्मये मृत्युरूपाय धीमहि
तन्नो शौरि: प्रचोदयात्। (23 हजार जप)
पौराणिक मंत्र
9. ऊँ शं शनैश्चराय नम: ।। (23 हजार जप)
स्त्रोत पाठ द्वारा :- शनि देव का संपूर्ण कष्ट निवारण हेतु ऋषि पिलाप्पद द्वारा रचित स्त्रोत का नित्य प्रात: उठते ही बिस्तर में बैठे-बैठे करना चाहिए।
स्त्रो स्त्र- कोणस्थः पिंगलो भैरुः कृष्णो रौद्रो-न्तको यमः।
सौरि: शनैश्चरौ मन्दः पिप्लादेन संज्ञाः ।।
एतानि दस नामामि पातरूत्थाय यः पठेत्।
शनैश्चर कृतांतर नूर
जिनकी कुंडली में शनि कमज़ोर हैं या शनि पीड़ित हैं उन्हें काले गाय का दान करना चाहिए। काला वस्त्र, उड़द की दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों का तेल, लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन और अनाज का दान। शनि से संबंधित रत्न का दान भी श्रेष्ठ होता है। शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो और दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो।शनि के कोप से बचने के लिए व्यक्ति को शनिवार के दिन और शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए। लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक सहित भिखारियों और कौओं को देना चाहिए। रोटी पर नमक और सरसों का तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए। तिल और चावल पक्कर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए। अपने भोजन में से काए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें। शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है। शनि ग्रह के प्रभाव से बचाव के लिए कष्टदायक, वृद्ध और हानिकारकियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखें। मोर पंख धारण करने से भी शनि के प्रभाव में कमी आती है।
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएं।
शनिवार के दिन लोहा, चमड़ा, लकड़ी की वस्तुओं और किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नहीं कटवाने चाहिए।
भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
भिखारी को उड़द की दाल की कचौरी खिलानी चाहिए।
किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
घर में काले पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों के लिए शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) और शनि की होरा में अधिक शुभ फल देता है।
क्या न?
जो व्यक्ति शनि ग्रह से पीड़ित हैं उन्हें गरीबों, वृद्धों और नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। नमक और नमकीन पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, सरसों तेल से बने पदार्थ, तिल और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। शनिवार के दिन सेविंग नहीं करना चाहिए और जमीन पर नहीं सोना चाहिए। शशि से पीड़ित व्यक्ति के लिए काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगूठी भी काफी सस्ती होती है, लेकिन इसे किसी अच्छे पंडित से सलाह और पूजा के पश्चात ही धारण करते हैं। चाहिए।
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कैसे करें राहु ग्रह की शांति
कई बार किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देती है, ऐसे में उसकी शांति शांति होती है। गृह शांति के लिए कुछ शास्त्रीय उपाय प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ पैरों में कमी आती है और शुभ पैरों में वृद्धि होती है।
योजनाओं के मंत्र की जप संख्या, द्रव्य दान की सूची आदि सभी जानकारी एकसाथ दी जा रही है। मंत्र जप स्वयं करें या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण से कराएं।
दान द्रव्य सूची में पदार्थोंदिए पदार्थ को दान करने के अतिरिक्त उसमें लिखित रत्न-उपरत्न के अभाव में जड़ी को विधिवत स्वयं धारण करें, शांति होगी।
राहु के लिए: समय रात्रिकाल
भैरव पूजन या शिवपूजन करें। काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
राहु मूल मंत्र का जप रात्रि में 18,000 बार 40 दिन में करें।
मंत्र: ': भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:'।
दान-द्रव्य: गोमेद, सोना, सीसा, तिल, सरसों का तेल, नीला कपड़ा, काला फूल, तलवार, कंबल, घोड़ा, सूप।
शनिवार का व्रत करना चाहिए। भैरव, शिव या पूजा की पूजा करें। 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
शनि गंभीर और क्रुर प्रकृति के ग्रह है। ये कालकार, तमोगुणी और पाप ग्रह है। कुटनीति, छल, कपट, क्रोध, मोह, क्षण, राजदण्ड, सन्यास आदि शनि के स्वभाव में है।
इसी कारण से आमजन में यह धारणा है कि शनि सदैव अनिष्टकारी ही होते हैं। जो कि पूर्ण सत्य नहीं है। शनि सदैव अनिर्वचनीय नहीं होते हैं। ये तो मनुष्यों के पूर्व संचित कर्मो के अनुसार अच्छा या बुरा फल देते है। शुभ कर्म वालों को खुशी, समृद्धि और उन्नति देते हैं तो अशुभ कर्म वालों को दुःख, दरिद्रता, और सम्मान देते हैं।
शनि राजा को रंक और रंक को राजा बनाने का सामर्थ्य रखना है। इसी कारण से इन्हे भाग्य विधाता भी कहा जा सकता है।
अतः शनि को प्रसन्न कर शुभ फल प्राप्त करने और अशुभ पैरों से बचने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते है।
मंत्र जाप :- शनि के मंत्रों के विधिवत जप करने से शनि जनित बाधाओं का निवारण होता है। & शनि शुभ फल प्रदान करते है। शनि की ढैया और साढ़े साती में मंत्र जप योग्य और शीघ्र फलदाय होते हैं। मंत्र जप स्वयं या किसी योग्य पंडित से विधिवत कराने चाहिए।
शनि को प्रसन्न के मंत्र और जप संस्था :-
1. वैदिक मंत्र :- नीलाजं समाभासं रविपुत्रम् यमग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतम् तम् नमामि शनैस्कृतम् ।।
(जप संख्या 92 हजार)
2. ऊँ शन्नो देवी रबिष्टय भवआप अभिषेक।
प्रतये शंयूर्यभि स्त्रवन्तुनः ।। (जप संख्या २३ हजार)
३. ऊँ स्वः भुवः। स सः खौं खीं खं ऊँ शनिश्चतु नमः ।। (जप संख्या २३ हजार)
४. ऊँ ऐं हनीं स्त्रीं शनैश्चराय नमः। (जप संख्या २३ हजार)
५. ऊँ शं शनये नम: ।। (जप संख्या २३ हजार)
तांत्रिक मंत्र
6. ऊँ खँचुं खूँ सः ।। (19 हजार)
7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।। (२३ हजार जप)
शनि गायत्री मंत्र
भ ऊँ भगभाय विद्मये मृत्युरूपाय धीमहि
तन्नो शौरि: प्रचोदयात्। (23 हजार जप)
पौराणिक मंत्र
9. ऊँ शं शनैश्चराय नम: ।। (23 हजार जप)
स्त्रोत पाठ द्वारा :- शनि देव का संपूर्ण कष्ट निवारण हेतु ऋषि पिलाप्पद द्वारा रचित स्त्रोत का नित्य प्रात: उठते ही बिस्तर में बैठे-बैठे करना चाहिए।
स्त्रो स्त्र- कोणस्थः पिंगलो भैरुः कृष्णो रौद्रो-न्तको यमः।
सौरि: शनैश्चरौ मन्दः पिप्लादेन संज्ञाः ।।
एतानि दस नामामि पातरूत्थाय यः पठेत्।
शनैश्चर कृतांतर नूर
जिनकी कुंडली में शनि कमज़ोर हैं या शनि पीड़ित हैं उन्हें काले गाय का दान करना चाहिए। काला वस्त्र, उड़द की दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों का तेल, लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन और अनाज का दान। शनि से संबंधित रत्न का दान भी श्रेष्ठ होता है। शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो और दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो।शनि के कोप से बचने के लिए व्यक्ति को शनिवार के दिन और शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए। लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक सहित भिखारियों और कौओं को देना चाहिए। रोटी पर नमक और सरसों का तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए। तिल और चावल पक्कर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए। अपने भोजन में से काए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें। शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है। शनि ग्रह के प्रभाव से बचाव के लिए कष्टदायक, वृद्ध और हानिकारकियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखें। मोर पंख धारण करने से भी शनि के प्रभाव में कमी आती है।
शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएं।
शनिवार के दिन लोहा, चमड़ा, लकड़ी की वस्तुओं और किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नहीं कटवाने चाहिए।
भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
भिखारी को उड़द की दाल की कचौरी खिलानी चाहिए।
किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
घर में काले पत्थर लगवाना चाहिए।
शनि के प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों के लिए शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) और शनि की होरा में अधिक शुभ फल देता है।
क्या न?
जो व्यक्ति शनि ग्रह से पीड़ित हैं उन्हें गरीबों, वृद्धों और नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए। नमक और नमकीन पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, सरसों तेल से बने पदार्थ, तिल और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। शनिवार के दिन सेविंग नहीं करना चाहिए और जमीन पर नहीं सोना चाहिए। शशि से पीड़ित व्यक्ति के लिए काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगूठी भी काफी सस्ती होती है, लेकिन इसे किसी अच्छे पंडित से सलाह और पूजा के पश्चात ही धारण करते हैं। चाहिए।
~~~
कैसे करें राहु ग्रह की शांति
कई बार किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देती है, ऐसे में उसकी शांति शांति होती है। गृह शांति के लिए कुछ शास्त्रीय उपाय प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ पैरों में कमी आती है और शुभ पैरों में वृद्धि होती है।
योजनाओं के मंत्र की जप संख्या, द्रव्य दान की सूची आदि सभी जानकारी एकसाथ दी जा रही है। मंत्र जप स्वयं करें या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण से कराएं।
दान द्रव्य सूची में पदार्थोंदिए पदार्थ को दान करने के अतिरिक्त उसमें लिखित रत्न-उपरत्न के अभाव में जड़ी को विधिवत स्वयं धारण करें, शांति होगी।
राहु के लिए: समय रात्रिकाल
भैरव पूजन या शिवपूजन करें। काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
राहु मूल मंत्र का जप रात्रि में 18,000 बार 40 दिन में करें।
मंत्र: ': भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:'।
दान-द्रव्य: गोमेद, सोना, सीसा, तिल, सरसों का तेल, नीला कपड़ा, काला फूल, तलवार, कंबल, घोड़ा, सूप।
शनिवार का व्रत करना चाहिए। भैरव, शिव या पूजा की पूजा करें। 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
यहॉ राहु के चमत्कारी सिद्ध उपाय पढ़े
कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव में होने पर चर्म रोग, मानसिक तनाव, आर्थिक नुक्सान, स्वयं को ले कर मूर्फहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना व युवती बोलना, जोड़ों का रोग या मूत्र और किडनी संबंधित बीमारी हो जाती है। संतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटना, उदर कस्ट, मस्तिस्क में दर्द आथवा दर्द रहना, अपयश की प्राप्ति, सम्बन्ध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना बनी रहती है।
उपाय: दुर्गा, शिव व हनुमान की आराधना करे | तिल, जौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे | कान पसवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भरने कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे, यह प्रयोग 43 दिन का होता है इसके साथ हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुप्टष्टक, हनुमान बाहुक, सुंदरकांड का पाठ और का कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है। अपने खाने में से कुत्ते, कौव्वे को भाग दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिंस कोलेट दे | चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्त करना अति महत्व्यपूर्ण है |
कभी भी किसी भी उपाय को 43 दिन करना चहिए तब ही फल प्राप्ति संभव होती है। मंत्रो के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे उचित मानी गई है | इन उपायों का गोचरवश प्रयोग करके कुंडली में अशुभ प्रभाव में स्थित योजनाओं को शुभ प्रभाव में लाया जा सकता है। सम्बंधित ग्रह के देवता की आराधना और उनके जाप, दान उनकी होरा, उनके नक्षत्र में अत्यधिक स्वास्थ्य होते हैं |
नि: शुल्क परामर्श के लिए, चैनल को फॉलो करें और टिप्पणियाँ मे अपना परामर्श लें जो आप जानना चाहते हैं, लिखित है।
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य ईमेल करेक्ट! पं।
राजेश मिश्र
भास्कर ज्योतिषी एंव तन्त्र अनुसंधान केन्द्र बरईपुर आजमगढ।
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राजेश मिश्र
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